अहमदाबाद की वो रात जब एक पिता ने बेटे को मार डाला: वासना हत्याकांड की अंदरूनी कहानी

अहमदाबाद का वासना इलाका

अहमदाबाद का वासना इलाका। जुलाई 2022 की एक सुबह। लोग अपने रोज़मर्रा के काम में लगे थे, तभी सड़क किनारे पड़े एक मानव धड़ ने पूरे इलाके को दहला दिया। शरीर का ऊपरी हिस्सा मौजूद था, लेकिन सिर, हाथ और पैर गायब थे। पहली नजर में ही यह साफ हो गया था कि यह कोई सामान्य मौत नहीं, बल्कि एक बेहद योजनाबद्ध और क्रूर हत्या का मामला है।

पुलिस मौके पर पहुंची, फॉरेंसिक टीम बुलाई गई और इलाके को सील कर दिया गया। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही था कि यह शव किसका है और हत्यारा कौन?

शव मिला, पहचान नहीं

धड़ की हालत ऐसी थी कि पहचान करना लगभग नामुमकिन लग रहा था। न कोई दस्तावेज, न कोई पहचान का निशान। पुलिस ने गुमशुदगी की रिपोर्ट खंगालनी शुरू की, आसपास के इलाकों में पूछताछ हुई, लेकिन शुरुआती 24 घंटे में कोई ठोस जानकारी नहीं मिली।

मामला तब और उलझ गया जब कुछ दिन बाद शहर के दूसरे इलाके में मानव शरीर के अन्य हिस्से पॉलीथीन में लिपटे हुए मिले। इससे यह साफ हो गया कि हत्या के बाद शव को जानबूझकर अलग-अलग जगह फेंका गया था, ताकि पहचान और जांच मुश्किल हो सके।

सीसीटीवी ने खोला राज

जांच की दिशा तब बदली जब पुलिस ने शहर भर के सीसीटीवी फुटेज खंगालने शुरू किए। एक फुटेज में एक बुजुर्ग व्यक्ति स्कूटर पर भारी पॉलीथीन बैग ले जाते हुए दिखाई दिया। यही फुटेज इस पूरे केस का टर्निंग पॉइंट बन गया।

स्कूटर नंबर के आधार पर पुलिस एक घर तक पहुंची। घर की तलाशी ली गई तो वहां से खून के निशान और धारदार हथियार बरामद हुए। इसके बाद पुलिस को शक नहीं, बल्कि यकीन हो गया कि वे सही दरवाजे पर हैं।

हत्या करने वाला कोई और नहीं, पिता ही निकला

पुलिस हिरासत में लिए गए बुजुर्ग से जब सख्ती से पूछताछ की गई, तो जो सच सामने आया उसने सभी को चौंका दिया। मृतक उसका अपना बेटा था।

पुलिस जांच में पता चला कि बेटा नशे की लत से जूझ रहा था। वह अक्सर पिता से पैसों की मांग करता था और इन बातों को लेकर घर में रोज़ झगड़े होते थे। घटना वाली रात भी दोनों के बीच विवाद हुआ, जो धीरे-धीरे हिंसा में बदल गया।

गुस्से और मानसिक दबाव में पिता ने बेटे पर हमला कर दिया, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई।

अपराध छुपाने की खौफनाक कोशिश

अपराध छुपाने की खौफनाक कोशिश
हत्या के बाद पिता को अपने किए का एहसास हुआ, लेकिन डर ने उसे और भयानक कदम उठाने पर मजबूर कर दिया। पुलिस के अनुसार, उसने शव को ठिकाने लगाने के लिए शरीर के टुकड़े किए, उन्हें पॉलीथीन बैग में भरा और अलग-अलग इलाकों में फेंकता रहा।

उसे लगा कि ऐसा करने से कोई कभी सच्चाई तक नहीं पहुंच पाएगा, लेकिन तकनीक और पुलिस की मेहनत ने उसकी योजना को नाकाम कर दिया।

भागने की कोशिश और गिरफ्तारी

शव के टुकड़े फेंकने के बाद आरोपी शहर छोड़कर फरार हो गया। पुलिस को जानकारी मिली कि वह गुजरात से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है। कई जगह नाकेबंदी की गई और आखिरकार पुलिस ने उसे पकड़ लिया।

गिरफ्तारी के बाद आरोपी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया। उसके खिलाफ हत्या और सबूत मिटाने जैसी गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया।

एक अपराध, कई सवाल

यह मामला सिर्फ एक हत्या की कहानी नहीं है। यह पारिवारिक तनाव, नशे की लत और मानसिक दबाव का खतरनाक मेल भी दिखाता है। एक ऐसा रिश्ता, जो सुरक्षा और भरोसे का प्रतीक होता है, उसी रिश्ते में यह अपराध हुआ।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अगर समय रहते मानसिक स्वास्थ्य और नशे से जुड़ी समस्याओं पर ध्यान दिया जाए, तो ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।

निष्कर्ष

अहमदाबाद का वासना हत्याकांड आज भी लोगों को सिहरने पर मजबूर कर देता है। एक पिता का अपने ही बेटे को मार देना और फिर अपराध छुपाने की कोशिश करना समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है।

यह केस बताता है कि अपराध सिर्फ बाहर से नहीं आते, कई बार वह घर की चारदीवारी के भीतर पनपते हैं। जरूरत है समय पर संवाद, मदद और समझ की, ताकि कोई और रिश्ता इस तरह खून से दागदार न हो।

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