बिना Air Purifier भी घर की हवा रहेगी साफ, सर्दियों में अपनाएं ये आसान और असरदार तरीके


Indoor plants improving air quality in winter

सर्दियों के मौसम में घर के अंदर हवा की गुणवत्ता अक्सर खराब हो जाती है। खिड़कियां बंद रहती हैं, प्रदूषण बढ़ जाता है और धूल, धुआं व नमी हवा में घुल जाती है। ऐसे में हर किसी के लिए महंगा एयर प्यूरीफायर खरीदना संभव नहीं होता। लेकिन अच्छी बात यह है कि कुछ आसान घरेलू उपाय अपनाकर भी आप बिना Air Purifier के अपने घर की हवा को काफी हद तक साफ और सुरक्षित बना सकते हैं।

वेंटिलेशन को पूरी तरह बंद न करें

ठंड के डर से लोग घर की खिड़कियां और दरवाजे पूरी तरह बंद कर लेते हैं, जिससे अंदर की दूषित हवा बाहर नहीं जा पाती। दिन में कम से कम 20–30 मिनट के लिए खिड़कियां खोलना जरूरी है ताकि ताजी हवा का प्रवाह बना रहे। यह तरीका Indoor Air Quality सुधारने में काफी मदद करता है।

घर में लगाएं एयर-प्यूरिफाइंग पौधे

कुछ पौधे प्राकृतिक रूप से हवा को साफ करने का काम करते हैं। जैसे स्नेक प्लांट, एरेका पाम, तुलसी और मनी प्लांट। ये पौधे हवा में मौजूद हानिकारक कणों को कम करने में मदद करते हैं और ऑक्सीजन का स्तर भी बेहतर बनाते हैं।

नियमित सफाई है सबसे जरूरी

सर्दियों में कालीन, पर्दे और सोफे में धूल ज्यादा जम जाती है। नियमित झाड़ू-पोंछा और वैक्यूम क्लीनिंग करने से धूल, एलर्जन और बैक्टीरिया कम होते हैं। खासकर बेडशीट और तकिए के कवर समय-समय पर धोना जरूरी है।

अगरबत्ती और धूप का सीमित इस्तेमाल

घर में अगरबत्ती, धूप या मोमबत्तियों का ज्यादा इस्तेमाल हवा को और ज्यादा प्रदूषित कर सकता है। इनसे निकलने वाला धुआं Indoor Pollution बढ़ाता है। इसलिए इनका सीमित उपयोग करना ही बेहतर है।

नमी बनाए रखें

सर्दियों में हवा रूखी हो जाती है, जिससे सांस से जुड़ी समस्याएं बढ़ सकती हैं। घर में पानी से भरा बर्तन रखना या हल्का ह्यूमिडिटी लेवल बनाए रखना फायदेमंद होता है। इससे हवा में नमी बनी रहती है और सांस लेना आसान होता है।

घर के अंदर धूम्रपान न करें

Indoor Air Quality खराब होने की सबसे बड़ी वजहों में से एक घर के अंदर धूम्रपान करना है। सिगरेट का धुआं लंबे समय तक हवा में बना रहता है और सेहत को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।

क्यों जरूरी है साफ हवा?

खराब Indoor Air Quality से सिरदर्द, एलर्जी, आंखों में जलन और सांस की दिक्कत जैसी समस्याएं हो सकती हैं। बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा के मरीजों के लिए यह और भी खतरनाक साबित हो सकता है।

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